पुलवामा के शहीदों को इन कोट्स के जरिए दें श्रद्धांजलि :
मेरी नन्ही की चिड़िया को चहकना छोड़ आया हूँ।
मुझे छाती से अपनी लगा लेना भारत माँ
मै अपनी माँ की बाहो को तरसता छोड़ आया हूँ।
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नींद उड़ गयी यह सोच कर की हमने क्या किया है देश के लिए
आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए
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जो देश के लिए शहीद हुए उनको मेरा सलाम है,
अपने खूं से जिस जमीं को सींचा उन बहादुरों को सलाम है
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मुझे आज भि याद हैं वो दिन, जब हिंदुस्तान रोया था..
पुलवामा पर धोके से, दुश्मनो ने हमला कराया था..
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ऐसी भारत मां के बेटे मान गंवाना क्या जाने
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने
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प्रेम दिवस कैसे मनाता, जब चारो तरफ गम के बादल छाए थे ..
नमन हैं मेरा उन शहिदो को, जो तिरंगा ओढ कर आए थे ..
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उस धरती के अमर सिपाही पीठ दिखाना क्या जाने
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने
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जिस मिट्टी में बचपन खिला ,वहि देश के लिए मरते हैं..
दुश्मनो से लडकर भि, इस देश कि सेवा करते हैं।
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मैं भारतवर्ष का हरदम अमिट सम्मान करता हूँ
यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ,
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ
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जो न दिन , न रात कहते हैं,
जो हर दु;ख को हस के सहते हैं,
लगा कर सिना दिवार कि तरह,
देश कि हिफाजत करते है,
सलाम है मेरा उन बिरो को,
जिस के नाम से हि दुश्मन डरते है
याद बहुत ही आती है
कहाँ गए हो लाल मेरे तुम
माँ आवाज लगती है
समन्दर भी हारे होगा।
जब मेदिनी वाले हाथों ने
अपना मगंलसूत्र उतारे होगें
हम चैन से सो सके, इस लिए वो लड कर जीत कर सो गया
इस देश का सच्चा बेटा था वो भि, जो आज शहिद हो गया ..
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खून से खेलेंगे होली,
अगर वतन मुश्किल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना
अब हमारे दिल में है
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उन आँखो की दो बूंद से,
समन्दर भी हारे होगा।
जब मेहँदी वाले हाथों ने
अपना मगंलसूत्र उतारे होगें
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मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने
प्यारी सहर को लहूलुहान दोपहर कर गए
वतन सबसे पहले जिनके दिल में आता है
उल्फत का किस्सा वो अपना अमर कर गए
पन्नो में सिमट कर ना रह जाए वीर जवानों की कुर्बानी
मेरी नन्ही की चिड़िया को चहकना छोड़ आया हूँ।
मुझे छाती से अपनी लगा लेना भारत माँ
मै अपनी माँ की बाहो को तरसता छोड़ आया हूँ।