B.TECH पुरी होने के बाद मैंने अखबार बैचने का काम शूरू किया,रोज सुबह-सुबह अपनी साईकल लेकर मैं अखबार बैचने निकल पडता
एक सोसाइटी मे मुसलमान फैमिली रहती थी,मैं सुबह जब भी जाता तो शकीना आंटी झाडू लगाती हुई मिलती थी,कभी कभी मुझे उनके #क्लीवेज भी दिख जाते थे :yum::heart_eyes:उनका फिगर करीब 36-38 था
ये सिलसिला कई दिनो तक चलता रहा,शुरूआत मे शकीना आंटी बहुत शर्माती थी लेकिन कुछ समय बाद जब भी मेरी नजर उनके क्लीवेज पर पडती,वो मुस्कुरा जाती थी
कल सुबह मैं जैसे ही शकीना आंटी के घर अखबार पटकने गया तो वो बोली "अरे आओ रणवीर" चाय पी जाओ .. मैंने मना किया तो वो बोली "आज हमारे घर पर कोई नही हैं.. कल रात को अब्दुल मियां अपने रिश्तेदार के यहां गये हैं, तो वो कल तक आयेंगे |
बार बार निवेदन करने पर मैं चाय पीने को तैयार हुआ,मैंने अपनी साईकल खडी की और उनके साथ अंदर चला गया
थोडी देर बाद वो चाय बना कर लाई और पास आकर बोली "रणवीर मुझे पता हैं तुम रोज सुबह मेरे क्लीवेज देखते हो,मैं भी तुम्हे मन ही मन पसंद करने लगी हूँ
आज घर पर कोई नही हैं,तुम खुल कर बोलो तुम्हे क्या देखना हैं,आज मैं तुम्हे खुलकर सब कुछ दिखाऊंगी
मैंने काफी देर तक सोच समझ कर कहाँ "रहने दो शकीना आंटी तुम बुरा मान जाओगी"
शकीना: अरे नही तुम बोलो मैं बिल्कुल भी बुरा नही मानूंगी,जो तुम बोलोगे दिखा दूंगी :yum::heart_eyes:
मैंने बिना देर किए बोल दिया "जब तुम सब दिखा ही रही हो तो लाओ #कागज_दिखा_दो |
पता नही क्यो कल से उन्होने अखबार लेना बंद कर दिया